आपकी आवाज के तलबगार है हम।
एक आपकी नजर के प्यासे है हम।
एक बार पुकारलो कब से प्यासे है हम।
इतना भी ना इतरावो, की खुद से अनजान है हम।
आ भी जाओ की दीदार के प्यासे है हम।
दीवानो मे गीनती होने लगी के आपके शुक्रगुजार है हम।
तारीफ आपकी कया करे हम आपसे मुखातीब है हम।
‘काजल’दीवानी हो चली आपके नाम की कहते है हम।
मानना न मानना मरजी आपकी कहते है हम।
-किरण पियुष शाह
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