युंही ..नहीं
काश ! वो मेरी बात मानते नहीं ,
सुनके कर देते अनसुना सा,
दील में युं बसाते नहीं।
मेंने तो युंही ही बोला था।
दीवानी हुं तेरी..
ये बात वो मानते नहीं।
ये अहसास मेरे पनपते नहीं,
हुं उनकी पसंद वो बताते नहीं,
आज पांव मेरे धरती पें होते।
में युहीं आसमां में उडती नहीं,
प्यार इतना बेहिसाब करते नहीं।
तो .
आज में उनके नाम का दम भरती नहीं।
काश!
तुम ये बात का ईजहार करते नहीं,
अखींयो में मेरे तेरे खवाब पलते नहीं..
तेरी यादो को घरोंन्दा मन में बसता नहीं।
भरोसा तुम्हारा करके युंही ईन्तझार करते नहीं।
बातें तुम्हारी …
हसीं तुम्हारी..
तुम्हारी ही छबी मनमें बसाके युंही बेकरार होते नहीं।
काश!
प्यार करतेें नहीं ,
प्यार का नाम लेके जीते नहीं।
सच मे तेरी दीवानी बनती नहीं
युं पगला के घुमती नहीं।
तेरे ईन्तझार में आज युं बुत बनती नहीं
काजल प्यार के नाम से जी ले..
युं रुस्वा मुहब्बत को करते नहीं ।
बाते युही बयां करते नहीं ।
काजल
किरण पियुष शाह
03/05/17
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