कुछ् ना कहेना चुप रहेना ये भी एक इम्तिहान है
आखो में नमी हँसी लबो पर ये एक इम्तिहान है
दिल में उठते गुबारे और आहे भरना क़यामत है
रहकर जिंदा हरपल मरना ये एक इम्तिहान है
जाकर भरी महेफिल में खुद तनहा रहेना आदत है
खिले रंग छोड़, सूखे फूल चुमना एक इम्तिहान है
दिन भर सोचना रातो को जागना वो फितरत है
छोड़कर चिलमन आप जलना एक इम्तिहान है
उसपे मर मिटने की यारों जो अगर इजाजत है
उनके कंधो पर चड़कर जाना एक इम्तिहान है
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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