जिस शिद्दत से लगे हो, तुम ख़ुदा ढुंढ़ने में
माहिर बनगए समजलो, अब तुम बुरा ढूंढने में
साज़िश करके आये हो, तुम क़त्ल की मेरी
काम निग़ाह से लो वक़्त लोगे, तुम छुरा ढूंढने में
जितना मिलता हैं उतना ही अपने पास रखलों
आधा इश्क़ भी खो दोगे, तुम पूरा ढूंढने में
हक़ीम ने इलाज किया ही नहीं कोई आम मर्ज़ था
क्या मलतब हैं उसके लीये, अब नूरा ढूढ़ने में
ख़ामियों पे तुमने क्या ख़ूब ग़ौर किया हैं मेरी
गिलास पूरा भरा था लगें थे तुम अधूरा ढूढ़ने में
नूरा : मौत के वक़्त दी जाने वाली दवा
~ हिमांशु मेकवान
Leave a Reply