हाथोंकी इन लकीरोमें कुछ तो बात रही होगी
वरना मिलन और जुदाई ना उनमें जड़ी होती
कौन यहाँ जीवन सारा, रेखाओमें लिख गया
समझ जाते जो लिखाई, यूँ बात ना बढ़ी होती
कुछ बात संभालते हम, और कही संभल जाते
ना दुखोंकी बाढ़ आती, ना सुखोंकी बलि होती
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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