बड़ा ही अजीब सवाल लेकर,
वो हर आये दिन पूछती रहती है,
कहती है मुझसे की क्या
आज भी तुम हमे याद करते हो…?
ओर हम इतमिनान से कहते है,
जी नही।
क्यो…?
वास्तव में इसका कोई जवाब नही है,
क्योकि एक तरह से देखा जाए,
तो सवाल ही बेबुनियाद है।
क्योकि याद उसे करते है,
जिसे कभी भुलाया गया हो।
ओर एक वह,
जो हर पल हमारी नब्ज़ में धड़कते है,
कैसे उनसे कह दे हम,
की हा,
में तुम्हे आज भी याद करता हु।
जब की ऐसी कोई क्षण भी तो नही,
जब हमारी नब्ज़ धबकी न हो,
उसकी छबी आंखों के सामने,
आयी न हो,
फिर कैसे में जवाब दु,
उन सवालों के,
जो सवाल ही उसको मुझसे दूर करते है,
शायद इसी कारण से हरबार,
बस उसके कुछ कहने का इंतजार करता हु।
चुपचाप, मौन ओर बिना कुछ सवाल किए।
शायद किसी दिन वह समझ ही जाएगी न,
की उस के अलावा कुछ है भी तो नही,
जिसे याद न करना पड़े 😍😍
~ सुलतान सिंह ‘जीवन’
( Note : इसे सिर्फ शब्दो का गुमाव ही समझे, क्योकि कविता समझने में बहोत दिक्कते होंगी। )
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