आजकी नजम अलग मिजाजमें – शायरकी नजरसे
किसने कह दिया गुलदस्ता फुलोसे बनता है
तुम्हारे आने से
तुम्हारे आने से आलम मधुबन सा महेकता है
जब साथ हो तुम्हारा हर दर्द दवा बनती है
दिलोमे जो प्यार हो, झर्रा खूश्बु से भरता है
हम तो तेरे घर को बस चमन समजते है
फुल, तितलिओ का जहॉ डेरा सजता है
चहेरे पर मासूमियत बहोत झिलमिलाती है
पूर्णिमाका चाँद जलनसे सावला लगता है
बनाके शिद्दतसें खुदाने चेन की सांस ली,
जन्नतकी हूरों से तेरा यूं चहेरा मिलता है
पहेचान हमारी तेरे नाम से ऐसे जुद गइ है
कोई भी पुकारे दिल बस तुम्हारी सुनता है
जहॉ भर की भले ही करले हम शेरो शायरी,
हर अलफ़ाज़मे मगर तेरा परिन्दा चहकता है
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
Leave a Reply