देते हैं जो साथ क्या वो है मेहरबानियाँ
चाहत की धूप में कुछ तो है परेशानियाँ.
झुकी नज़रों से कर जाते हैं हर सितम,
मखमली नज़रोमें फिरभी है नादानियाँ.
ढाई अक्षरों में लिखा चाहतने इतिहास,
लहू के हर कतरे मे वहाँ है कुर्बांनियाँ.
नन्हीसी जान को पलपल रहेता ख़तरा,
हर तरफ खिलती प्यारी है आत्ंकीय़ॉ.
टूटते शायरो की जिंदगी है बड़ी सस्ती,
यादों में ढलती उनकी है ज़िंदगानियाँ.
– रेखा पटेल ( विनोदिनो)
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