यूँ सालों बित गए फिर भी, वो अब तक ख़ास है
दिल उसको ही क्यूँ ढूढ़ता है, जो दिलके पास है
जानते है मानते है, वो दिन कभी नहीं आएगा,
यहाँ नहीं तो आसमाँ में फिर मिलनकी आस है
ना ढूँढना तुम मुझे, ना याद करके उदास होना,
निभाया वादा शिद्दत से, आज तोड़ने की चाह है
छुपाकर रख्खी यादों को, जो वजह है जिनेकी,
निकलती है जान, जब याद आती उसकी बात है.
बारिशमें भीगना ठीक है, हम तो ओसमें भीगे है,
हॅसते रोना, रोते हॅसना, यही जीवनकी मांग है.
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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