ये रिश्ते तो रिश्ते हैं
कभी अपने, कभी पराये
कभी अपने, कभी पराये लगते है.
कभी अनमोल, कभी नाकाम रहते है
ये रिश्ते तो रिश्ते है…
गुब्बारों से हलके दिलोजान उड़ाते है
कभी बनके पथ्थर दिल चिरते है.
बेबजह अपनों के लहू निचोड़ते है,
कभी शर्द हवामें कंबल बनते है.
ये रिश्ते तो रिश्ते है…
पास होते भी ज़िंदा लाश लगते है,
कभी दूर रहेकर जिनेकी वजह बनते है
खुद नाम सबका रोशन करते है
कभी मिट्टीमें सबकुछ मिलाते है.
ये रिश्ते तो रिश्ते है…
कभी नाम देकर पैरो की जंजीर बनते है
कभी बेनाम रिश्ते फ़ूलो सी सुकून देते है.
ये रिश्ते तो रिश्ते है…
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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