ये उन दिनोंकी बात है
कुछ ना कहते हुए भी सालो तक
बहोत कहती रही थी मैं.
कुछ ना सुनते हुए भी हर लम्हा
मुझे तुम समझते रहे थे.
ना हाथोंमे हाथ था,
ना कंधो पर सर रखा कभी,
ना दिलोंमे कोई दूरियाँ थी,
हम कितने पास थे.
आज बहुत कुछ कहेती हूँ
इससे ज्यादा लिखती हु मैं.
पर तुम हो कहाँ?
ना मै जानती हु, ना तुम जानते हो.
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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