महोब्बत तो की होगी उसे बनाने वाले ने भी कभी
नींद में ख़्वाब देखा होगा ऊपर वाले ने भी कभी
वरना ये चाद तारे टिमटिमा कर जलते ना कभी.
जुदाई में उसका दिल भी पिघलकर रोया हो कभी
कतरा कतरा टुटकर वो जमी पर बिखरा हो कभी
वरना आसमान से ज़मकर यू बारिस ना होती कभी.
जुदा करने वाले को भी दुरिया खलती है कभी
गर्मी में आग और बर्फ होकर सर्दियो में बरसा वो कभी
वो तड़पा होगा वरना पथ्थरो की हारमाला ना होती कभी
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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