उसने मेरा नाम अब लकीर रक्खा है
अपने हाथोंमें मुजको बसाके रक्खा है
नाम शमा मेरा जाने कबसे रक्खा है
बनाके लौ उम्रभर हमें जलाके रक्खा है
मंदिर मे बुत बनाके सजाके रक्खा है
करके दिलमें कैद हमें छुपाके रक्खा है
मेरी आँखों में उसने आईना रक्खा है
यही खुद घर अपना बनाके रक्खा है
मुझे अपना साया बनाकर रक्खा है
मेरा वजूद इस तरहा मिटाके रक्खा है
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
Leave a Reply