तुम्हारे बगैर मै, मै नहीं होता,
मै और मेरा आईना बहुत बातें करते है,
सारी बातोंमें तुम्हारा जिक्र रहता है.
वैसे कितनी बाते कहनी है तुमसे,
पर तुझसे मिलके चुप हो जाता हु
सोचता हु मै बेचैन हु,तुम्हे क्यों बेचैन करू ?
किंतु प्यार मेरा तुमको कैसे बतलाऊ?
सोचा दूर एकांत में उगे फूलों को,
अब मैं दिलकी बाते कहूंगा !!
की तुमसे प्यार करता हूं मैं.
अब न मैं बेचैन रहूंगा
और न गुजरेगे तुज पर ये भारी पल
मैंने भी प्यार किया है तुमको….
बस अब तुम ,
उन फुलोके पास मत जाना.
वो कही बता न दे तुमको ,
की मै तुमसे ही प्यार करता हु
फिर मै रोक नहीं पाउँगा ,
तुमको भी मेरी तरहा बेचेन होने से….
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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