तुम इतनी मोहब्बत करो हम संभल जाये
दम निकले नहीं और जरा हम बहल जाये
तुम इतने पास आओ एक जान हो जाये
रूह की इतनी गरमी ना दो पिघल जाये.
ईन सासों की गुलाबी महक में घुल जाये
ऐसा ना हो अब हम गुलाब में बदल जाये.
अजीब ढूढ़ते हो की हम गज़लों मिल जाये
सोचलो कही तुम्हारे शेरो में ना ढल जाये.
बस ऐसी मोहब्बत करना के हम जी जाये
चाहे पास रहे या दूर मुहब्ब्त ना भूल जाए .
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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