तूम अगर सामने हो मेरे, तो हर जगह ख़ास है.
वरना जैसे, समंदरके सामने पानी और प्यास है.
जिसे चाहे वो मिल जायें अगर, जीवन बाग़ है,
बाकी जिंदगी रुकती नहीं, जीनेका अहेसास है.
सपनोंको कहाँ ख़रीदा या बेचा जा सकता है,
किंमत लगती है वहाँ, जहाँ मिलन आस पास है.
जीने को जरुरी है तमन्नाओ को जिंदा रखना,
बुझे हुए दियेमें, यूँ तेल भरते जाना परिहास है.
वैसे ये जीवन, बहेते समंदर से आगे कुछ भी नहीं
जिन्दा लोग डूबते, मुर्दा फेंक देते कहते लाश है.
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’





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