तेरी चुप्पी मे जब भी देखु तो छुपा हुवा इकरार निकले,
अगर मे दिल तेरा खोलुं मेरे ही इश्क का दरबार निकले.
गर तुंम चाहो तो दुआ देने हम तेरे द्रार चलकर आयेंगे,
बस यह शर्त है कायम मेरा नाम सजदे मे हर बार निकले.
मेरे अंदर ही चुपके तुम बेठे रहते हो मेरे जान-ए-हयात,
मेरी रूह को आकर छुलो तो चाहत की झंकार निकले.
नगीने जैसी चमक उठुंगी तेरी पुतलिओं में सजा लो मुजको,
जब भी तुम अपनी आँखे खोले, सिर्फ मेरा ही दिदार निकले.
मेरे आगे पीछे युही ना घुमा करो, सूरज और चँदा के जैसे,
कभी खो गए हम तो, तेरी ही आंखो से मेरा इस्तेहार निकले.
प्यार ने तुम्हारे मुझ पर हाये ये कैसा जादू कर डाला है,
क्यों मिलने के बाद फिर से मिलन का इंतेजार निकले.
ताज्जुब है, तुं कैसे हॅसकर सहेता है मेरी शोला मिजाजी को,
सायद इसी लिए मेरे दिलसे तेरे लिए बेइंतिहा प्यार निकले.
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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