सुनाऊँ धड़कन का ताल शब्दों में तुम सजे हो
प्रीत की है भाषा मनोहर, चेतना में तुम जड़े हो
आओ प्यार से निहार लो साथी …
मुस्कुराते लब है, और आँखोमे तुम बसे हो
तुम ही चारो तरफ हो, शब्दों में तुम रचे हो
आओ प्यार से निहार लो साथी …
आँखे तुम्हारी मदभरी, सुन्दरता में तुम जचे हो
संग तुम्हारा सतरंगी, खुशियों में तुम लदे हो
आओ प्यार से निहार लो साथी …
मै सिर्फ हुँ परछाई, इसी दिल में तुम पले हो
पैरो पे तेरे किये है सजदे,दुआ में तुम भरे हो
आओ प्यार से निहार लो साथी …
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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