राणा सांगा – शौर्य की वो मिसाल बना
कटी भुजा से भी रण में जो ढाल बना,
अधूरी काया में पूरा कमाल बना।
एक आँख थी, पर दृष्टि में तूफ़ान था,
वो राजपूतों का सच्चा सवाल बना।
शौर्य लिए वो चल पड़ा रणभूमि में,
हर वार के बीच जीता हर जाल बना।
क़़िले, महल, सिंहासन तो पीछे छूटे,
मातृभूमि के लिए खुद बवाल बना।
लोदी, खिलज़ी, बाबर की सत्ता डोली,
जो लड़ पड़ा, स्वाभिमान की ढाल बना।
खानवा में हार, नहीं थी उसकी कमी,
विश्वासघात ही तो वो क़बाल बना।
रणभूमि में जब-जब चला उसकी कमान,
दुश्मन की छाती पर सीधा निशान बना।
इतिहास के पन्नों में जो आज भी जिंदा है,
सांगा ही तो मेवाड़ की जान बना।
तू “गद्दार” कहता है उस राणा को अब?
जिसने बचा ली सदीयों की शान बना!
-सुलतान सिंह ‘जीवन’ | १० अप्रैल, २०२५
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