कुछ यादे,जो कभी थी,
अभी है,जो रहेगी।
जो अपनी है, अपनी थी,
जो हंमेशा अपनी रहेगी।
वो थी मेरी,
जो मेरी मेरे साथ जायेगी।
कुछ ददँ,कुछ खुशी,
कुछ खटमीठी।
बस थोडी कहानी,
थोडी जींदगी।
आधी सच्ची,
आधी जुठी।
थोडा अफसाना,
थोडी कहानी ए जींदगी।
यादे मेरी,मेरी अपनी,
मेरी जींदगी की।
~ किरण पियुष शाह
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