देखते रहो आप मुझे युही इसतराह।
मे खो जाउ आप मे युही इसतराह।
जमाने से हो रहे हम बेपरवा युही इतराह।
और जींदगी गुजर जाये आपके साथ युही इसतराह।
आपकी नजरो से देख रहे है दुनीया युही इसतराह।
हर वादी हर शमा खुबसुरत हे युही इसतराह।
भुला के जींदगीकी मुश्कील युही इसतराह।
बस गुजर जाये हरवक्त हमारा युही इसतराह।
“काजल” की जींदगी की कहानी बन जाये युही इसतराह।
– किरण पियुष शाह
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