चांदनी भी शरमाके भाग गई तेरे आने से।
रातने दामन ओढ लीया कुछ बहाने से।।
कारवां यादो का गूजरता रहा रातभर।
जख्मों को नमक छीडकता रहा जाने से।।
बिस्तर करवट बदलता रहा बेचेनीओ में।
अंधेरा कमरेका मुंह चिडाता रहा कोने से।।
गूलदान के फूलो मुरजा गये तेरे बिना।
आवारगी बठती गई एसे मे तुझे खोने से।।
किस्मत हमारी साथ नही चल पाई तो क्या?
उम्मीद केसे छोड देते .. आश तो है पाने से।।
काजल
किरण पियुष शाह
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