ईश्क कर लीया अपनी जानसे ज्यादा।
रुह के कतरे कतरेसे आपसे ज्यादा।।
ख्वाबो की गलीयो मे सरेआम धूमते रहे।
रुबरु होनेसे कतराते रहे साजनसे ज्यादा।।
गुफतगु होती रातभर आंखो ही आंखो में।
वफा की कसमे निभाई खुदसे ज्यादा।।
अंदाजे बयां आपके दिल लूभाते रहते।
खामोशीयां आपकी महकती आनसे ज्यादा।।
दीवानगी रंग लाती रही हीना की तराह पीसके।
ईतराके रुबरु हुए आपकी शानसे ज्यादा।।
कलाम आपका सूनते हंमेशा ईरशाद बोलके,
आह वाह की दुबारा कहते रहे ईमानसे ज्यादा।।
काजल प्यार जताती जिंदगीभर युंही बेपनाह।
न कीया हुवा वादा निभाती रही हदसे ज्यादा ।।
काजल
किरण पियुष शाह
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