ऐतबार करके हमने जिंदगी उनके नाम करदी।
मुश्कुराहट पे उनकी हमने जरा समाम करदी।।
एक बात कहुं कहके शुरु हुई थी गुफतगु उनसे।
कहानी उनकी सूनने में राते युंही तमाम करदी।।
लहराती जुल्फे तीरछी नजरके अंदाज उनके।
ऐसी ही कीसी बात पे नजरे टकराके जाम करदी।।
उनकी शोख हसीं की खातिर हमने युंही कभी।
बीना कुछ बोले गलती मानकर उनके कलाम करदी।।
काजल सारी बाते, यादे,शिकवे भूलाकर चलदीए।
बीना उनके जिंदगी कैसी ? हमने जान अपनी हे राम करदी।।
काजल
किरण पियुष शाह
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