आवाजना दो आज हमे ,
कुछ पल ठहर जाओ,
थोडासा वक्त तो दो.
ये दिल संभल जाए।
धडकने हमारी थोडी काबुमे आ जाए।
क्युंकी..
कल हमारी मुलाकात हुई,
आंखो आंखोमें बात हुई।
वो मंजर अभी .नजरोके सामने है..
अभी उनकी नजरो का नशा उतराही नहीं।
आंखो ही में बाते हुई थी..”
दीदार उनका .. दूरसे हीं नसीब हुआ..
नजरके सामने थे..
हमारी मजबूरीयां..
हम नजर उठाके देखना शके..
उन्होने निगाहो से ही पुछा हाल हमारा.
जुक गई निगाहें उनके सवालपें …
कया जवाब देते उनकी सवालीया नजरो को..
कैसे कहते..
हा ! जीन्दां है आपके बीना आजभी।
काजल
किरण पियुष शाह
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