आशीयाना
आज उन्होने कहा…
कया बात है?
कभी हमें आपके घरतो बुलावो..
मेरी नजर के सामने आया उन्का महेलनुमा घर…
थोडी झीझक के बाद कहा ..
जरुर ! आईये मेरे गरीबखाने पर..
छोटा है, घर की दीवारे बीना रंगोगान से थोडी उदास लगेगी ।
पूराना है थोडा छोटा है
आपके जैसा वैभवशाली नहीं है।
जरुरत का सामान है,
एक छत, चार दीवारी है।
जो ..
हंमेशा मेरा साथ देते है।
मेरा अभिमान है।
प्यारकी दीवारे बहुत मजबूत है।
विश्र्वासकी छत हर मौसम में साथ देती है।
महेंमाननवाजी उसका भी शौक है।
खुशीकी किलकारी सदा गुंजती है.
दुख और तकलीफ में वो थोडा सीकुड जाता है,
हुफ अपनेपन की बढा देता है।
थककर पहुंचता हुं तो मुझे अपनेसे लीपटाकर बांहोमे भरता है।
कभी कभी मेरे साथ चल पडता है दिलमें बसकर,
मेरा प्यारा आशीयाना ..
स्वागत है आपका हमारी प्यारकी दूनिया में।
जो प्यार से सजा है, प्यार ही में जीता है।
आप आयेगे?
जरुर आईये……
काजल
किरण पियुष शाह
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