ना मुडके तुमने देखा, ना हमने रोका कभी,
पलटते पन्नोंको भी ना, हमने रोका कभी.
शुरू हुई थी जहाँ से वो कहानी दिलकी,
उसे छुपाते हुए वक्त को, ना टोका कभी.
ये दिल था, ना दरिया की रेत फैली यहीं,
समय के अपने मिजाजोने ना पोंछा कभी.
पुराने वक्त कों सीनेसे लगाये भी खुश थे
बदलते वक्तको ना बार बार सोंचा कभी.
समयका शोर आसपास यूँ हरवक्त रहा
ना दिलकी बातो को सुनकर रोया कभी.
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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