मंजिल का पता नहीं पर रास्ता दे गए हो
नींदे मेरी उड़ा कर हमें दीवाना कर गए हो
आंखोमें डालकर आखें मैख़ाना भर गए हो
छूकर मेरे इस दिल को, दीवाना कर गए हो
तन्हाई ओ के बीच वही आबाद कर गए हो
दर्द के साथ दवा देकर दीवाना कर गए हो
तुम मेरे साथ अपनी पहचान खुद जुड़ गए हो
हम हमको ही ढूँढ रहे है दीवाना कर गए हो
मैं इस जां का क्या करूँ दिल तुम ले गए हो
उलझन में पड़ गया हूँ दीवाना कर गए हो
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
Leave a Reply