मन करता है कुछ ना लिखु बस,
सिर्फ ख्यालो मे खुदसे जुड जांउ.
बोले बिना सिर्फ दिल सुन शके
एक ऐसा अपना गीत गांउ
आज मे सबको भूल जांउ …..
खुली खिड़की से बनकर तितली,
बहार खुली हवामें उड़ जाऊ.
नए खयालो के साथ बादलो में,
घुलकर बारीस की बुंदे बन जाउ
सब मन के बंधन तोड जांउ….
सपने सुहाने जो देखे थे रातोमे
दिनके उजालो मे सचकर जाऊ
अपनो संग जी भर कर जीलू मैं
बनकर रोशनी आंखोंमें उतरु जाऊ
खूशी बनके हॅसी में सिमट जाऊ….
अगर मिल जाए दो प्यार की बुँदे,
बेजान पथ्थरोको जिन्दा कर जाऊ
लगा दू वहा प्यार के नाम पौघा
रोते हुए बच्चेकी हसी बन जाऊ
एक फूल की तरह मे खिल जाऊ …..
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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