माँ, में बहोत व्यस्त हूँ
मेरे बच्चे मेरा परिवार.
माँ तू कहाँ! सोचने फुरसत नहीं.
हमें बहोत कुछ करना है,
तू क्या करती है पुछनेकी
कोई भी वजह नहीं.
कल जब समय मिलेंगा
बहुत बाते करेंगे गले मिलेंगे
तेरे हर गीले शिकवे दूर करूंगा,
बस यही सोचके रख्खा था,
पर मूल गया, वक्त महोताज कहाँ?
आज मेरे बच्चे अपनेमें व्यस्त है
अकेला हूँ, समय भी बहोत है…
ओ मेरी माँ, तू कहाँ तू कहाँ ?
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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