बादलों की पूरी फ़ौज देखो, कैसे आकाश पर छा गई
कहाँसे आई घनघोर घटा, ये काले बादल, नभ पर छा गये
मोर मदमस्त होकर नाच उठे, फूलो पर ताज़गी आ गयी
बादल घुमड़-घुमड़ कर गाने लगे, देखो शोर मचाने लगे..
बिजलियाँ आंखमिचौली खेलती, देखो मचलने लगी..
नन्हे-मुन्नों छीटों से होकर शुरू वर्षा टूटकर झरने लगी
रिमज़िम घुंघरू बाँध के देखो धूम बरसाने लगी..
छोड़कर शर्मो हया धरती बिन छाता नहाने लगी ..
चारो तरफ हरियाली है खुशहाली है !!
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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