किसने कहे दिया फुलो से ही गुलदस्ता बनता है
तुम्हारे आने से आलम सारा फूलो सा महेकता है
जब अपनो का साथ हो हर दर्द दवा बनती है
दिलोमे हो प्यार तो हर झर्रा खूश्बु से भरता है
जहां भर की भले ही हमने शेरो शायरी की है
मगर तेरे अलफाज मे परिन्दा चहकता है
सुना है लोगो तेरे घर को चमन समज लेते है
फुल, पती, तितलिओ का तेरे धर डेरा सजता है
निहायत मासूमियत तेरे चहेरे से जब बिखरती है
हो पूर्णिमा फिरभी जलनसे चाँद सावला लगता है
तुजे बनाके शिद्दत से खुदाने चेन की सांस ली है
इस लिये जन्न्त की हुर से चहेरा तेरा मिलता है
पहेचान हमारी तुम्हारे नाम से ऐसे जुद गइ है
कोई भी पुकारले दिल आवाज तुम्हारी सुनता है
फासलो की अब मत सोचो रीश्ते दिल से जुडते है
प्यार सच्चा है तो जुदाइ मे भी अकसर बढता है
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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