हर चाहत पूरानी हो ज़रूरी तो नही
हर बार दुवा नूरानी हो जरुरी तो नहीं.
मिल जाये आमने सामने तो हँस लेंगे
हर बार पूरी कहानी हो जरुरी तो नहीं
खयालो में भी महेक जाता है हर समां
हर बार वो नादानी हो जरुरी तो नहीं.
तन्हाईमें पहली आँख शिकायत करती है
हर बार यही दीवानी हो जरुरी तो नहीं.
दिलमें महोबत कल भी थी, आज भी है
हर बार बातें जुबानी हो जरुरी तो नहीं.
बेगानो से शिकायत करना आदत नहीं
हर बार बात बढ़ानी हो जरुरी तो नहीं.
मिले अगर खुदा कही खुदको मांग लूँ
हर बार शाम सुहानी हो जरुरी तो नहीं.
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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