हमारा हो जाये
छुपाउ कब तलक ये महोब्बत,
क्यों न आज इकरार हो जाये,
चाहे इश्क भले बेगाना हो जाये,
आसमान फिर हमारा हो जाये,
करता रहे जो हमशे महोबत यु,
बस सिर्फ वोही हमारा हो जाये,
क्या कशिश हे उनकी आवाजमें,
बात भले आज पुरानी हो जाये,
इश्क धड़कन में गूंजता ही रहेगा,
भले ये सांसे ही बेगानी हो जाये,
~ सुलतान सिंह ‘जीवन’
(३:००, २० अगस्त २०१६)
Source: Blog Post
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