हम अंदाज़ बदलते है,
हमने जीना सीख लिया.
नहीं करेंगे अब हम,
बाते चांदसे चादनी की,
नहीं मिलेंगे अब हम,
सोते जागते ख़्वाबमें भी.
सलीका इश्क निभानेका,
दुनियासे सीख लिया .
नहीं करेंगे अब हम,
बाते, आइनेसे श्रृगार की.
नहीं रखेंगे पाँव अब हम
आते जाते उस नगरमें भी.
मुखौटा पहने जिंदगी थी,
नकाब हटाना सिख लिया.
नहीं करेंगे अब हम,
बातें फूलोंसे खुश्बुओ की.
नहीं बैठेंगे हम अब,
जलते तपते मनमें भी.
हमनें दी आज़ादी सबको,
आज़ाद रहना सीखा लिया
नहीं करेंगे अब हम,
बाते कैद से ज़ंज़ीर की.
नहीं जियेंगे हम अब
डरते डरते जगमें भी.
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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