सुनाई दे रहा कोई वाद ओर विवाद तो है,
आखिर कार प्यार में कुछ प्रतिसाद तो है,
ढेर सारी हुई होंगी बाते, तेरे ओर मेरे बीच,
वो अल्फाज ओर सवाल, तुम्हे याद तो है,
जिंदगी से भले न रहा तुजे कोई शिकवा,
आज भी कोई न कोई तुम्हे फरियाद तो है,
बिखरा हुआ सा था जो आज हरा-भरा है,
चाहत कोई न कोई आज भी बर्बाद तो है,
टूट सा चुका दिल मेरा उनके चले जाने से,
फिर भी खुशी है, घर उनका आबाद तो है,
~ सुलतान सिंह ‘जीवन’
Leave a Reply