कुछ् ना कहेना, चुप रहेना ये भी इम्तिहान है
आखोमें नमी लबो पे हँसी ये भी इम्तिहान है.
दिलमें उठते गुबारे और आँहें भरना क़यामत है
रहकर जिंदा, हरपल मरना ये भी इम्तिहान है
भरी महफ़िल तनहा रहेना ना ख़ुशी की बात है
छोड़ बहार सूखे फूल चूमना ये भी इम्तिहान है
दिन भर सोचना, रातों में जागना ना फितरत है
छोड़कर चिलमन आप जलना ये भी इम्तिहान है
उसपे मर मिटने की यारों जो मिलती इजाजत है
हाथ छुड़ाकर कंधों पर जाना ये भी इम्तिहान है
रेखा पटेल (10/23/13)
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