यूँ तो जिंदगी तुजे खुलकर जीये शिकायत नहीं.
जो मिला उसे गले लगाकर हँसे शिकायत नहीं.
कभी सचमें हँसते हम तो कभी गम छुपाये जियें
औरों के ख़ातिर कमी आँख रोये शिकायत नहीं.
यहाँ कौन किसको अपना समझें किसको बेगाना,
दिलने रख्खा है हर राझ छुपाये शिकायत नहीं.
कभी लगता ये जीवन, है कठपुतलिओं का खेल,
कब डोर खींचकर दिन पलटाएँ शिकायत नहीं.
जो भी खिला है आज वो एक दिन बिखर जाएगा.
जाते जाते अगर जो सुवास फैलायें शिकायत नहीं.
– रेखा पटेल (vinodini)
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