ना घर मिले ना ही राह कोई
तेरी नजर की छाँव बस चाहिये.
है आँखें तेरी मेरे दिल का आईना,
शक्ल मेरी नज़र वहीं चाहिए.
है सिंगार रूप का मोल तभी,
तारीफ़ आँखो से बरसनीं चाहिए
तुम साथ मेरे कोई गम नहीं,
परछाईं को भी तुम्हारा सहारा चाहिए.
चैन चुराए तेरे अधरों की हंसी,
मे है सिंगार रूप का मोल तभी,
मुस्कान को मेरी तुम्हारी नज़र चाहिए.
– रेखा पटेल
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