बिन तेरे में कौन हु?
ना में बता सकूँ, ना जता सकूँ.
तुम हो कर भी कही नहीं
न मेरे साथ,ना आसपास.
आँखे है खाली पर दिलमें राझ
न होकर तुम पास, फिर भी हो ख़ास.
तुम हो चंचल.
मुझको छीनकर, मुझसे छिपकर
मिलते हों कभी यहाँ वहाँ.
बूंदोंकी सरगममें, हवाओं की सरगोशीमें
धूम मचाते, मुझको उडाले जाते हो.
दूर, आज से कही दूर,
जहाँ तितलिओंकी दौड़ है
खिलखिलाती हँसी की गूँज है.
ना जमानेके डर, ना चेहरे पे चेहरा.
में तुमसे लिपट जाता हु,
तेरी उँगली थामे फिर जी उठता हु.
पल दो पल का ये अहसास,
बस बहोत हे मेरी आज को.
वैसे सब ठीक है, आज काफी खुशहाल है
हाँ तेरी कमी हे…लाजमी,कायमी.
– रेखा पटेल
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