बहोत जी लिया तेरे होने का झूठा भरम पाले
अब यु बेवजाह दिल को बहलाते हम नहीं
जाना ही था दूर तो क्यों नजदीकियां बढ़ाई
अब तुझको माफ़ कर दे ऐसे भी बेशरम नहीं
अब जबभी आना तुम नया चहेरा साथ लाना
वरना तुजको पलभर ना छोड़ेगे, इसमे वहम नहीं
येँ आँखे तेरी जुदाई को अब भी प्यार करती है
आंसूकी भाषा ना समजे इतने बड़े बेरहम नहीं
रूह से हर रूह की पहचान कोइ मुश्किल नहीं
पर सुकून से सोई हुई रूह को जगाते हम नहीं
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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