अब तो दिलकी बात तुम्हे कहने से डर लगता है
कही तुम रूठ गये तो फिर जीने से डर लगता है.
तुम्हे हर बात बतादें मन की यही सोच थी अपनी
दिल से दिलको अब कुछ बोलने से डर लगता है.
चुप रहने में सबका भला, बात यही ठहेर जाएँगी
छोटें दिलमें इतना कुछ, अब फटने से डर लगता है
तुम आवारा बादल बनकर आगे निकल जाओगे
अकालमें फिर मरुभूमि सा बनने से डर लगता है
सेकडो लोग हो भले आसपास फिर भी तन्हाई है
अकेले तुम बिन, भिडमें खो जाने से डर लगता है.
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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