उन दिनों की यादों में भी कोई बात है,
शायद वही लम्हे तो आज भी याद है,
ये सारा जहांन सुखा पड़ा है इश्क में,
इस कदर फिर क्यो रूह में बरसात है,
आंखों की सरगोशियां कुछ कहती है,
लेकिन लब्ज़ में छिपे हुए कई राज है,
कोन रोक पाया है इस कदर इश्क को,
बेखौफ उमड़ता जिस कदर सैलाब है,
रह गए आबाद तेरे इश्क अहसास से,
वरना बिना प्यार के यहा सब बर्बाद है,
~ सुलतान सिंह ‘जीवन’
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