तेरी मौजुदगी का मेरी जिंदगी मे इतना असर है
जिंदगी अब तेरी याद का एक लौता सफर है
पुरी रात बिस्तर पर यहाँ कोन चैन से सोता है,
ये मेरा तकीया ही आंसुओ का भीगता शहर है
मालुम है लुट जाएँगे हम,उन रास्तो में अकेले
बड़ी लम्बी तेरे दिल तक पहोचने कि डगर है
वो मेरा नहीं फिर भी क्यों अपनासा लगता है
हर जनम में तेरी याद ही इस दिलका करार है
अपनी चाहत को यहाँ लोग क्यों खता कहते है
जो भी मिले सजा तुमसे हमें अमीरी का सजर है
अब मिलेंगे तो ना जाने देंगे युँ बाहरसे आपको
सुनाएगे हमारी तनहाई के जो किस्से हजार है
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
Leave a Reply