उँगलियों ने बातें करके मेरा हाथ छोड़ा
उसने बड़े हौले से आज मेरा साथ छोड़ा
दिल के छालों का जुदाई में ज़िक्र कहा था
बड़ी जलन थी और दर्द का सैलाब छोड़ा .
तमाम उम्र बनाते रहे नक्शा मंजिल का
दिन ढले ख़्वाब में आकर लाचार छोड़ा .
अब तो नहीं बरसते कहीं इशारे आँख के
तेज हवा थी आँधियाँ का गुब्बार छोड़ा
बेशक बचा नहीं कोई उसका भी घर
जहा आशियाना था वही आना छोड़ा
ज़र्रा भी ख़ुद को क़ुर्बान नहीं करता कोई
उनकी खुशीमे शामिल हमने हाथ छोड़ा
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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