आज सपनेमे उनसे फिर मुलाक़ात हुई
जो अधूरी थी वो गुफ्तगु बार बार हुई
बिना कहे वक्त भी कुछ देर ढहर गया
यादे पुरानी सब आज तार तार हुई
वो पूछते रहे हमें हाले बयान दिलका
बिन सावन बारिस भी धारदार हुई
दिलके घने अंधेरेमे दिये की बात चली
पाकर उसका साथ नींद जानदार हुई
रात या दिन? जाने कोन सा वक्त रहा,
उनके जाते ही खुशियाँ घर बहार हुई
~ रेखा पटेल ‘विनोदिनी’
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