जो था तेरे मेरे दरमियान, उसे बह जाने दो,
खड़े है कुछ सवाल, मौन उन्हें रह जाने दो,
जो स्मृतियां हमारे मध्य, यहा वहा बहती है,
इशारो को कुछ सच्चाइया भी, कह जाने दो,
लम्हे भी तो वो अब बर्दास्त नही हो पाते है,
जो बीत गया है, उन घावों को सह जाने दो,
कुछ खयाल ओर अरमान थे, तेरे मेरे बीच,
जो साथ दे रही है तेरा, सब वजह जाने दो,
~ सुलतान सिंह ‘जीवन’
Leave a Reply