ऐसा रूहानी प्रेम मिलता कहाँ
बित गए सालों फिर भी, वो अब तक ख़ास है
दिल उसको क्यूँ ढूढ़ता है, जो दिलके पास है
जानते है मानते है, दिन वो कभी नहीं आएँगे,
धरती आसमाँ मिलते नहीं फिर क्यों आस है.
ना ढूँढना मुझे, ना याद करके दिल जलाना.
निभाया वादा शिद्दतों से, तोड़ने की चाह है.
छुपाकर रख्खी यादें, वहीं वजह है जिनेकी,
निकलती है जान, जब आती उसकी बात है.
बारिश में भीगना ठीक, हम ओस में भीगे है,
उजाला या अँधेरा रूह की रौशनी ख़ास है.
जताते नहीं गम, मोहब्बत को खुदा मानते है.
वरना कम्बख़्त नाराज़गियाँ जीते जी लाश है
धड़कता है दिल इससे ज्यादा क्या बेवफाई.
हॅसते रोना, रोते हॅसना, यही जीवनकी मांग है.
– रेखा पटेल (विनोदिनी)
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