गर इश्क है तो इसे एक तरीके से जताकर देखो
दिलमें किसीके प्यारका चराग जलाकर देखो.
इससे भी अच्छे लोग मिलेंगे कायनात में तुम्हे
अपने से मिले फूरसत तो बहार निकलकर देखो.
घोंसलों से निकल हवाओँ में पंख फैलाओ जरा
ज़िन्दगी के मुक्कमल तजुरबे को उठाकर देखो,
शराब में ही नशा हो ये बात लाझमी नही दोस्त
उनके आँखों से गिरते आंसुओ को पिकर देखो,
पत्थर की तरह ख़ुद को बहोत सलीके से तराशा,
अब तुम पथ्थर को ज़िन्दा इन्सान बनाकर देखो,
पकड़ना है खुशीयो को तो मुस्कुराकर हाथ बढ़ाओं
किसी विरान दिलमें बस एक फ़ुल खिलाकर देखो
इक ग़ज़ल खुद पर लिखने को दिलनें चाहा बहुत,
मेरे अलफाझ को तुम अपने दीलसें पढ़कर देखो
किसीको फूरसत नही तुम्हारे लिए,ओ मेरे दर्देदील
हो सके तो छोड़कर चाँद चकोर को नजरभर देखो
मुसलसल यादों के समंदर में कब तक भीगते रहोगे!
कभी बनके दरिया तुम मौजो संग उछलकर देखो
मेरी मिजाजी उसके सिवा किसी को रास ना आयेगी
दम है तो, उसकी तरह मेरे सब नखरे उठाकर देखो
इक ग़ज़ल खुद पर लिखने को दिलनें चाहा बहुत,
मेरे अलफाझ को तुम अपने दीलसें लगाकर देखो
– रेखा पटेल (vinodini)
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