मौत तो आज अजीब प्यारी सी लगी,
ए जिंदगी तुं आज अजनबी सी लगी।।
कितना आराम तेरी बांहोमें आज मिला,
जन्मो की थकान पलभरमें गायब सी लगी।।
वफा किसकीं याद करते, .. कब तक?
जब बेवफा प्यारकी कसमें हमें सच्ची सी लगी।।
कांरवा यादोका साथ नीभाता रहा हरवक्त,
यादोके साथ , वो कोशीष अपनी सी लगी।।
हरदम तेरी बातो तेरी यादमें जियेगी काजल,
एक बार और भूलने की कोशिश बेकार सी लगी।।
काजल
किरण पियुष शाह
Leave a Reply